Sunday, September 12, 2010

बोली.

बोली.


कोयल की मीठी - बोली, क्यों ?
सबके मन को, भाती है.
और, कौए की कांव-कांव क्यों ?
रह -रह, मन उचटाती है.
कुछ तो राज छुपा बोलों में,
मन वश में, कर लेते हैं.
कडवे - बोल, हमेशा मन को,
नफरत ही तो देते हैं.

आओ सोचें, सीखें हम भी,
पशु-पक्षी, पेडों, चिडियों से.
सब अपने हैं, हम भी, सबके,
मिल-जुल रहें, पडोसियों से.
बोली में, जादुई असर है,
बिगडा काम, भी बन जाये.
कर्कश, अहंकार की बोली,
महाभारत लडना पड जाये.

कडवी-बोली, मन विचलित कर,
गहरे घाव बनाती है.
फिर विनाश की लीला आगे,
नाकों चने चबाती है.
इसीलिये, शब्दों के चयन में,
होशियार, समझदार बनें,
मन में, बोल तोल कर बोलें,
खुशियों के हकदार बनें.
---०---

Wednesday, September 8, 2010

सपने सच भी होते हैं.


सपने सच भी होते हैं.
जब हौसलों में जान हो.
सिर्फ़ देखना ही काफी नहीं,
पूरे करने की, मन में ठान हो.

कल्पना की उडान में,
पंखों का योगदान कम है.
असल बात है, मजबूत इरादे,
तभी तो, उडान सम्भव है.


यूं तो, सपने सभी देखते हैं,
इतराते हैं, खुश होते हैं.
कितने हैं ? जो आगे बढते हैं,
पूरे करने की, कोशिश करते हैं.

जैसी द्रष्टि, वैसी स्रष्टि,
अपना, अपना नजरिया है.
असंख्य खजाने, छुपे हुए हैं,
कोशिश ही, पाने का जरिया है.

कोशिश भी, सिर्फ कोशिश नहीं,
कर्मठता और लगन जरुरी हैं.
प्रयत्नों में, यदि जुनून नहीं,
तो सारी कोशिशें, अधूरी हैं.

मजबूत इरादों, के सैलाब को,
क्या कभी, अड्चनें रोक पायीं हैं ?
मन में हो, कर गुजरने की चाह,
तो जुगनू ने, राह दिखायी है.

जीत उन्हीं को मिली,
जिन्होंने सोचा, हम जीत सकते हैं.
एक सपना नहीं, हजार सपने हैं तुम्हारे,
उठो, बढो, ठान लो, हम जीत सकते हैं.
---०---

सपने सच भी होते है.

Friday, September 3, 2010

मेरा - सच.

मेरा - सच.


सुना है, शाश्वत सच,
कभी नहीं बदलता.
बिल्कुल सोने की तरह.
समय, वर्षा, हवा,
और आग में तप कर भी,
सोना, सोना ही रहता है.
विषम परिस्थियों में,
चमक भले ही, फीकी पड जाये,
कीमत कम नहीं होती.

लेकिन आज ।
मैं जो देख, सुन रहा हूं,
वह वैसा नहीं है.
वर्षों जिस सच को,
जिया, पहना, ओढा,
रोज, कपडों की तरह,
लेकिन, जब वक्त आया,
तो उसी सच ने,
मुझे झूठा साबित कर दिया.

क्या कहूं, इस सच को ?
मैं गांधी, या हरिश्चन्द्र नहीं हूं.
ना ही मेरे पास सबूत है,
सच बोलने/ कहने का.
बस एक, छोटी सी आशा,
शायद, सोने की तरह,
मेरा-सच भी, एक दिन,
स्वमं को सिद्ध करे,
सच कभी नहीं बदलता.
---०---