Thursday, May 13, 2010

मेरा बेटा खो गया है.


ऐ दुनिया वालो,
यहीं कहीं, मेरा बेटा खो गया है.
रोज बदलती, दुनिया की इस चकाचौंध में,
शायद कहीं, भटक गया है.
हो सके तो कोई ढूंढ कर ला दे.
बदले में, चाहे तो सारी कमाई ले ले.
बडे यत्न से, पाला है उसे,
जैसे, सभी मां-बाप करते हैं.
आंखों से नींद, और मन का चैन,
जैसे रुठ गया है.
मेरा बेटा खो गया है.

मां-पापा का राजदुलारा,
मम्मी की आंखों का तारा,
कभी दीपू है, कभी सोना है.
सपनों को जैसे पहना है.
कभी देवकी का कान्हा,
तो कभी त्रेता का श्रवणकुमार.
पथराई आंखों से बहता पानी,
कह रहा है अनकही कहानी
न था कभी सोचा,
पड जायेगा सपनों का टोटा.
दूर हो जायेगा, मेरा अपना बेटा.
सपने, जो लगता था, सच हो गये.
अचानक ऐसा क्या हो गया है ?
आज मेरा बेटा खो गया है.

बहुत भोला और मासूम सा चेहरा.
आग्य़ाकारी, आत्मविश्वास का मोहरा.
फिर भी न जाने, किस बहकावे में,
या बदली सोच के वश में,
रेगिस्तान की मर्गमरीचिका की तरह,
किंकर्तव्यविमूढ हुआ, कुछ भूल गया है.
विदेशी संस्कर्ति की घुसपैठ,
भारी पड रही है, रिश्तों पर.
लगा हो जैसे गर्हण सपनों पर.
हम से भी जाने - अनजाने,
शायद कुछ भूल हो गयी.
सब गडबडा गया है.
मेरा बेटा खो गया है.

बेटा भी वहां खोया,
जहां उम्मीद न थी
हम तो लगभग आश्वस्त थे.
बेटा अब जवान हो चला है.
पढाई में अव्वल,
काम भी मन - माफिक.
हमें और चाहिये क्या ?
अब दिन बदलेंगे.
सपने सच होंगे.
इसी बीच, मां-पा को खबर लगी,
जवान बेटा कहीं खो गया है.
हम पर तो, जैसे पहाड ही टूट पडा.
सुनहरे सपने, क्षण में बिखर गये.
सांसें न जाने, रुक सी गयीं.
हम अपने से, अपने को छुपा कर,
एक दूसरे को समझा रहे हैं.
मेरा बेटा खो गया है.

बेटे के बचपन की मधुर यादें,
वो बीते, गौरवपूर्ण पल,
क्या सचमुच धोखा था ?
नहीं, कदापि नहीं.
शायद, यह धोखा है.
हमें भरोसा है, समय बदलेगा.
फिर लौटेंगे वे, सोने से दिन.
चांदी सी रातें.
लगता है, आवाज आई,
हैलो मौंम, पापा जी नमस्ते.
सोचा, शायद मन का भर्म है. नहीं.
सामने बेटा, चरण-स्पर्श के लिये झुका.
मैंने उठ, तुरन्त सीने से लगा लिया.
आज मुझे, खोया बेटा ही नहीं,
दुनिया की सबसे बडी दौलत मिल गयी.
आज मुझे, मेरा बेटा मिल गया.

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