Sunday, June 28, 2015

 

समय


( यह रचना, २२ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. )

नहीं,  समय  के,   साथ  जो,  चलते,    वे,  पीछे   रह  जाते  हैं.
समय,   और   सागर   की  लहरें,     इन्तजार,   नहीं   करते  हैं.
समय,   गँवाना,   धन   खोने,   सा,    नहीं,   उससे   ज्यादा  है.
गुजरा   वक्त,   नहीं  आता,     धन,  फिर  भी,   मिल  जाता  है.

समय – बराबर,   नहीं   कीमती,      धन – दौलत,    हीरे – मोती.
जिसने,   समय   को,   पहचाना,      जीता,   हार,   नहीं   होती.
जिसने,  समय  को,   नष्ट  किया,     वह,  स्वयं,   नष्ट  होता  है.
समय,   हाथ  से,   फिसल  गया,     फिर,  जीवन – भर   रोता  है.

समय,  की  इज्जत  करो,    समय,    तुमको   इज्जत   बखशेगा.
मनोकामना,   पूरी   होगी,     जो,   नहीं  हुआ,     वह,   होगा.
आज  का   काम,   आज  ही,   पूरा,     कल,  पर   ना,   छोड़ेंगे.
आज,  समय   है,   काम,   करेंगे,     कल,   होगा   जो,   देखेंगे.


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Friday, June 26, 2015

मेरा गाँव, - मेरा देश.  


( यह रचना, १८ जुलाई, २०१४ को, लिखी गई. )

मेरा – गाँव,   ही,   मेरा – देश  है,    देश,   बना   गाँवों  से,  ही.
गाँव,  खुशहाल,  तो,  देश,  खुशहाल,   भारत – गौरव,  गाँवों,  से  ही.
सत्तर, -  प्रतिशत   भारत,   अब   भी,     गाँवों,   में,   बसता,   है.
गाँव  का,  किसान – मजदूर ,- मिलकर,   हम – सब,  का  पेट,  भरता  है. 

गाँव,  आज  भी,   कम  प्रदूषित,      छत,  पर,   मोर  नाचते,  हैं.
तोता,  चिड़िया,   गौररिया,  मिल,     मोहक,  संगीत,   सुनाते,  हैं.
उजली – उजली,    भोर,   सुनाये,      तुतले – तुतले,     बोल.
सूर्योदय,   का    द्रश्य,    विहंगम,      देखें   तो,    अनमोल.

शहर,  बने  शरीर,  भारत,  का,      आत्मा,  बसती,  गांवों,  में.
निश्छल – प्रेम,  और  भाई – चारा,     आज  भी,  मिलता,  गाँवों,  में.
इसीलिये,  यह  बना  जरुरी,     सब – मिल,   ग्राम – विकास,    करें.
भागीदारी,   शत – प्रतिशत,   हो,     नहीं,   हुआ  जो,    उसे,  करें.

आओ,  नव – भारत,  निर्माण,  करें,     ये,  आज,   शपथ  लेतें  हैं.
शहरों,   गांवों,  में,   भेद   रहे   ना,     ऐसा,  भारत,   गढ़ते   हैं.
गावों,   का   सम्पूर्ण – विकास,     भारत  को,   शिखर   पंहुचाएगा.
खेल – कूद,  या   सशत्रसेनाएं,     भारत   का,   तिरंगा   लहरायेगा.


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Thursday, June 25, 2015

सत्यमेव, जयते.


( यह रचना, १४ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. )

सच,  को  सच  कहना,  भी  अब,     सबके  बस  की,  बात  नहीं.
सोचें,  हित  अपना,   किस  में  है,     झूठ,  बोलना,   पाप  नहीं.
सच,   जो   बोला,   खड़ा – कटघरे,      झूठे,    देंगे,    शिक्षा.
सत्यवादी  की,   जीवन – पथ  पर,     पग – पग,  होगी,   परीक्षा.

जो,  जीवन  में,  विष  घोलें,     सच,  बोल   कभी,  क्या  पायेंगे.
गले – मिलें,  और  छुरा,  घोंप  दें,    जलते,  दीपक  को,  बुझायेंगे.  
फिर  भी,  रोशनी,  जिन्दा  है,   देवदूत – सा,  नन्हा, - दीपक, आयेगा.
ज्यादा – दिन,  नहीं,   छुपा,  रहेगा,      झूठ,  तो,   पकड़ा,  जायेगा.

सच,  तो,   अजर – अमर,  है,    काल – द्रष्टि,   से,  भी,  ऊपर.
समय,  साक्षी  है,   जीता,  सच  ही,     कठिन – परीक्षा,  दे,  दे,  कर.
इसीलिये,   कभी,   हार   न  मानो,     झूठ,  के,   कोड़े   खा  कर.
अन्तिम – विजय,   सत्य  की,  होगी,    गाँठ,  बाँध  लो,   कस – कर.


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Wednesday, June 24, 2015

श्रमदान.  


( यह रचना,  १३ जुलाई २०१४  को, लिखी गई. )

आओ,  सब – मिल,  कुछ  काम,  करें,    कुछ  काम,  करें,  श्रमदान,  करें.
एक  और  एक,   ग्यारह   बनते,    यह,  सिद्ध,  करें,   सत्कर्म,  करें.
आओ,  मिल – बैठें,   बात – करें,     कुछ,  सुनें,  कहें,   वार्तालाप  करें.
अपने – लिये,  तो,  सब,  जीते,    कुछ,  अलग  सोच,  कुछ  अलग  करें.
ओरों,  के  लिये,  भी,   कुछ,  सोचें,    कुछ,  नया  करें,   संकल्प,  करें.

गाँव,  शहर,   या   गली – मोह्हला,    रहते  जहाँ,   है,  घर - अपना.
अपनी  ही,   जिम्मेदारी  है,    सब,  मिल – कर,   बने,  देश – अपना.
अपने – घर   की,   साफ – सफाई,      खुद    ही,   करनी   होगी.
मिल – कर,  हम  सब,   कर,  सकते  हैं,    कोशिश,   करनी   होगी.
गाँव,  शहर,   घर,   स्वर्ग,   बनेगा,    भारत,   की   जय    होगी.

श्रमदान,   एक   है,   महादान,      जन – कल्याण,   उद्देश्य   हमारा.
तेरा – मेरा,   कुछ   भी,    नहीं,    सब  से  ऊपर,   है,  देश,   हमारा.
हम,   बदलेंगे,   सब,   बदलेंगे,     श्रमदान,   बने,   जन,    भागीदारी.
मिल –जुल,   मसले,   सुलझा   लेंगे,     हम – सब,   लेंगे,   जिम्मेदारी.
आओ,  मिल,  अब  शुरुवात  करें,    कुछ  नया  करें,   है,  बारी,  हमारी.


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Tuesday, June 23, 2015

कर - भला, हो – भला.


( यह रचना, १२ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. )

कठिन,  होते   हुए   भी,    भले   बने – रहना,  है  बेहतर.
जिन्दगी,  जीने – लायक  है,   ये,  सोच,  आयेगी  निखर  कर.
जीवन  में,  छिपे,  अच्छे – पलों   का,    इन्तजार,  बना  रहेगा. 
थोड़ा  कम,  या,  देर  से  ही,   सही,    सकून,  जरुर   मिलेगा.

कंटीली – झाड़ियों,  के  बीच,   राह  बनाना,   मुश्किल   है,   नामुमकिन  नहीं.
अँधेरी, - रात,  में,  राह,  ढूँढना,  बिना,  सहारे,   कठिन,  है,  असम्भव  नहीं.
आशाओं  की,  रोशनी  में,   चल  कर,    देखो  तो,    अँधेरा,  लौट  जायेगा.
हारी -  हुई,   बाजी  में,  धैर्य,   दिखाओ  तो,     हौसला,  जीत  जायेगा.

नेक,  बने  रहने  का,  फल,  मिले,  ना  मिले. बुराई,  पस्त  हो  जायेगी.
परिस्थियाँ,  जो,  विचलित  कर  रहीं  हैं,    नेक – नीयत,  से,  हार  जायेंगी.
कर   लो,   फैसला,   मन    में,      हर – हाल,    भला,   सोचेंगे.
यदि,   आज,   जीत   नहीं   पाये,     कल,   हम    ही,   जीतेंगे.


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Monday, June 22, 2015

डरना मना है.


( यह रचना, ०८ जुलाई २०१४ को लिखी गई. )

डर  के  आगे,  जीत  है,   मत    कर,   सोच – विचार.
जो,  डर  गया,  वो,  मर  गया,    डर  को,  ही  तू  मार.
डरना,  नहीं   है,  आज  से,     मन   में,  ले  तू   ठान.
भय  ही,  भूत  का  नाम  है,    सच,  जो  रहा  है,  जान.

निडर – बूंद,  बादल  से,   निकल,    सीपी  में,   मोती  बनती  है.
जो,  डर  गई,   भविष्य  न  कोई,    कीचड,  नाली,   में  मिलती  है.
इसीलिये,   डरना   नहीं,   भाई,     डर,   को,  दूर   भगाना   है.
निर्भय – मन,   से,   कोशिश    कर,     मंजिल,  अपनी   पाना   है.

सपने,  यदि,   सच   करने   हैं,  तो,    डर    काबू,    पाना   होगा.
मन  में,  बैठे,   शैतानी – डर,     डंडे   मार,   भगाना   होगा.
तब,  ही,  खुशहाली,   आयेगी,    कामयाबी,  का,   साथ   मिले.
काम,  अधूरे,   बन  जायेंगे,     जीवन,   मुस्काता,   साथ,   चले.

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Sunday, June 21, 2015

मन का विश्वास.


   ( यह रचना, ०७ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. )

नन्हीं  चींटी,  जब,   दाना  लेकर,  चलती  है.
चढ़ती,  दीवारों पर,   सौ – बार,  फिसलती  है.
मन का,  विश्वास,   रगों में,   साहस  भरता  है.
चढ़ कर,  गिरना,  गिर कर,  चढ़ना,   न अखरता  है.
आखिर,  उसकी,  मेहनत,   बेकार,   नहीं  होती  है.
कोशिश,  करने वालों, की,   कभी,  हार  नहीं  होती  है.

डुबकियाँ,   सिन्धु में,     गोताखोर,   लगाता  है.
जा – जा,  कर,   खाली – हाथ,    लौट  आता  है.
मिलते  न,   सहज  ही,  मोती,    गहरे,  पानी  में.
बढ़ता,   दूना – उत्साह,     इसी,    हैरानी   में.
मुट्ठी  उसकी,  खाली,     हर – बार,   नहीं,  होती  है.
कोशिश,  करने  वालों  की,    कभी,  हार,  नहीं  होती है.

असफलता,   एक,   चुनौती,   है,     स्वीकार,   करो.
क्या,  कमी,  रह  गई,    सोचो,   और,   सुधार  करो. 
जब – तक,  न सफल  हो,   नींद,  चैन,  को,  त्यागो,  तुम.
संघर्षों,   का   मैदान,    छोड़,     मत,   भागो,   तुम.
कुछ  किये – बिना,  ही,    जय,  जयकार,  नहीं  होती  है.
कोशिश,  करने,  वालों  की,    कभी,  हार,  नहीं  होती  है.


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Thursday, June 18, 2015

आगे बढ़ो.  


( यह रचना, २१ जून, २०१४ को, लिखी गई. )

बाधायें,  कब  रोक,  सकीं  हैं,    आगे,  बढ़ने  वालों  को.
देनी,  होगी,   रोज  परीक्षा,    ख्वाब,   देखने,  वालों  को.
जीवन – रण,  एक,  खुली  चुनौती,   दम – ख़म,  तो  स्वीकार  करो.
खतरों,  की  बात,   करें  कायर,    बढे, - चलो,   सब,   पार  करो.

कोई,  समस्या  नहीं,   गरीबी,    साधन,  या,  हों   अन्य  विधान.
जहाँ – चाह,   वहां,   राह  मिले,    पृथ्वी,   अम्बर   या   पाताल.
मन  में,  लक्ष्य,  यदि,  ठान  लिया,    तो,  कोई,  रोक  न  पायेगा.
कर्म,   यदि   सम्पूर्ण – समर्पण,    लक्ष्य,   भेद   कर,   आयेगा.

बढे – चलो,  चलते  ही  रहो,    जब  तक,  मंजिल,  से  हो,  मिलान.
अंकित  कर  दो,  समय – रेत  पर,   पद – चिन्हों,  से   बने,  निशान.  
विश्वास  करो,   है  विजय  तुम्हारी,    तुमने,  यदि   आह्वान   किया.
जीत  लिया,   उसने,   जग  सारा,    जिसने,   मन  को,   जीत  लिया.


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Wednesday, June 17, 2015

काम की बात.


( यह रचना, १८ जून, २०१४ को, लिखी गई. )

छोटे – दिल, से,  बड़ी  बातें, कर,   कोई,  बड़ा  नहीं  बनता.
टूटे – दिल, से,  चलना  मुश्किल,   कोई,  खड़ा,   नहीं  होता.
आधे – मन,  से,  किया काम,    कभी,  पूरा,   नहीं   होता.

महापुरुषों  की   सीख,  सुभिच्छा,   हमको,  राह  दिखाते  हैं.
माँ  का,  आशीर्वाद,  प्यार,   हर – मंजिल  तक,  पहुंचाते  हैं.

बिन,  गहरे – पानी, में,  उतरे,   कोई,  तैराक,  नहीं,  बनता.
बिना,  हौसले,  पंखों  से   ही,   कोई,  उडान,  नहीं   भरता.
पीठ,  दिखा – कर,  भाग,  जाय,   उसको,  सम्मान,  नहीं,  मिलता.

गुरु – संगरक्षण,  कठिन – परिश्रम,    बने,  सफलता,  का,  आधार.
नेक – नीयत, और  कर्मठता, से,     हों,   हर, मुश्किल,   से,  पार.


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Tuesday, June 16, 2015

 

आज की बात.


( यह रचना, २५ अप्रैल, २०१४ को, लिखी गई )

     ( १ )


छोटा  दिल,  और  छोटी  सोच,
मान,  घटा  दे,   चौराहे  पर,
इज्जत,  उछले,   गलियों,  में.
नाहक,  तिल  का,  ताड  बनायें,
अनचाहे  भी,    पड़े,  मनाना.
बातें,  ले  जायें,   दल – दल  में.
सही,  कहे  जो,   उसी,  से  उलझें.
फिर,  कैसे,   मसले  को  सुलझें ?
हालत,  बिगड़े,   पल – पल   में.
ईश्वर,  सद्बुद्धि   दें,  सबको.
हम  छोटे,  तुम,  बड़े,  हो  भाई.
तुम ही,  जीते,   कलियुग  में.

     ( २ )

 

मैं,  ही  सच्चा,    बाकी,  झूठे.
कुछ,  भी  कह  लो,   ना  मानें.
उल्टा,  चोर,   कोतवाल  को  डांटे.
अपनी,   जिद  पर,    अड़े  रहें. 
समझाओ,   समझेंगे   भी   ना.
उनको,  समझें,   राह  के,  कांटे.
धौंस  जमायें,   बन,  बड – बोले.
कह  गये,  क्या ? बिना  ही  समझे.
फिर,  अपने  ही,  कहे  को,  नाटें.
कोई  तरकीब  भी,  काम  न  आई.
डंडे  का  डर,    दिया,  दिखाई.
उतरा  भूत,  तो,  थर – थर, काँपे.

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Monday, June 15, 2015

 जीवन संघर्ष.


( यह रचना, २३ अप्रैल, २०१४ को लिखी गई. )

कभी – कभी, आँखों  के  सामने,   दिखता  जो,   वह  सत्य  नहीं.
मरु  भूमि  में,   म्र्गमरीचिका,  जल,  दिखता,  पर, जल  है,  नहीं.
म्रग,  ना  समझे,  भूल – भुलैया,   एक,  छलावा,  कुछ  भी  नहीं.
इसी  तरह,  जीवन  में,  होता,    जो,  सोचे  हम,  था,  वो  नहीं.
भूल,  भयंकर,   पड़ती  है,   ये,    लगता,  जैसे,  बस  में,  नहीं.

सब  हैं,  आदि – शक्ति की  रचना,   उर्जा,  कहो  या,  अन्य – प्रकार.
कर्म – प्रधान,  विश्व  है,  सारा,    फल  पर  ना,  कोई   अधिकार.
कभी – कभी,  छोटी एक  घटना,    जीवन,  इस  तरह,  बदल  देती.
बिन  मांगे,  मोत्ती   मिलते  हैं,     मांगे,  भीख   नहीं   मिलती.
मन  के  अन्दर,  हैं,  सबके  हल,    लौ  हरदम,  जलती,  रहती.

भाग्यशाली  हम,  मिला  ये  जीवन,     इसको   ना,  बर्बाद  करें.
भूल,  कोई   भी,   अंत   नहीं,    मौका,   भूल – सुधार   करें.
स्वीकार,  चुनौती   दृढ – निश्चय,    लगातार,  कोशिश,  मन  से.
काम,  असंभव,  भी   संभव  हो,    मदद   मिले,   परमेश्वर  से.
रंग  लायेगी,  मेहनत   निश्चित,     सपने  सच  हों,  करने  से.

जादू,  ना  ही  श्राप,  किसी  का,   कठिन – परिश्रम  ही  है,  विकल्प.
ईमानदार  कोशिश,  मन  से  हो,   लक्ष्य – केंद्र    में,  दृढ – संकल्प.
बुलंद – हौसले,   और   धीरज  से,    कुछ   भी,   पा   सकते   हैं. 
मन – जीते,   तो   जीत   लिया   जग,     चमत्कार   होते    हैं.
विश्वास   करो,   अपने   ऊपर,     इतिहास   बदल   सकते   हैं.

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