Tuesday, May 24, 2016

आँधी.

 

कल, तेज गर्मी के बीच,
दिन ढले,  मौसम ने ली अँगड़ाई.
घिर आये बादल, छाया अँधेरा,
पानी नहीं,  बरसा रेत, आँधी आई.
आँधी की रफ्तार,  सह न पाये,
हजारों पक्षियों,  जीवों के घर.
सैकड़ों पेड़,  टिन – शेड और,
गरीब – मजदूरों के छप्पर.
मेरे आँगन में भी,
अशोक का, एक पेड़.
देर तक खाये हिचकोले,
झुका, पर उठ नहीं पाया.
लचीलापन कम होने की सजा,
लटक गया, जैसे कुबड़ा साया.

आँधी, सिर्फ मौसम का,
उतार – चढाव,  अभिशाप नहीं.
एक आँधी,  मेरे मन में,
नये – पुराने विचारों की,
उठा – पटक  जारी है.
अभी तक,  सकारात्मकता,
का पल्लू,  कस के पकड़,
नकारात्मकता को हराया.
तेज आँधी के,  झौंकों ने,
कई बार,  सावन के झूले,
की तरह,  जीवन को,
ऊपर – नीचे  किया.
लेकिन,  हर  बार,
धैर्य, सच्चाई ने साथ दिया.

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Monday, May 2, 2016

माँ के जाने के बाद.


माँ  के,  जाने  के  बाद,
सब – कुछ  वैसा  नहीं.
घर  के,  आँगन  से  सटी,
जगह – जगह  उग  आई  घास.
नीम  के  पेड़  तले,
उनींदती  छाँव  और  खेलते  बच्चे.
हैंडपंप  के  इर्द – गिर्द  जमीं,
पानी  की  काई,  और  गन्दगी,
गवाही  दे  रहे  आपकी,
अनुपस्थितित  चहल – कदमी  की.

पालतू  कुत्ते,  कालू  ने,
अनशन  कर  दिया,  माँ  के,  जाने  के  बाद.
कुछ  दिनों  की,  अनुनय – विनय,
और  भूख  की  मज़बूरी  ने,
अनशन  तो,  तुडवा  दिया,
लेकिन,  गुम – सुम  उदासी  में,  अब  भौंकता  नहीं,
माँ  के,  जाने  के  बाद.
गाय  की  पहली – रोटी  जारी  है.
लेकिन,  अब  नियमित  नहीं,
गाय  जानती  है,  अब,  माँ  नहीं.

माँ  के,  जाने  के  बाद,
आत्मीयता  की  खुशबू,  हवा  हो  गई.
पडौस  के  बच्चों  की,  धमाचौकड़ी,
और,  औरतों  की  खिलखिलाहट,  गुम  हो  गई.
माँ  की  रिक्तता,  भर  नहीं  पायेगी,
हाँ,  सांत्वना  बस  इतनी,
खामोश  यादों,  का  मार्ग – दर्शन,
जीवन  को,  आगे  बढायेगा.
यादों  का  तूफान  गहराया,
तो,  आँख  का,  एक  कोना  भीग  जायेगा.


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