Tuesday, June 21, 2016

फादर्स डे मुबारक हो पापा |

गाँव में बरसों पहले,
परीक्षा की तैयारी करती बिटिया |
चार बजे का अलार्म लगा देना,
चिन्ता नहीं, पापा ने समझाया |
पौने चार बजे  पापा ने जगा,
हाथ में चाय का कप थमाया |
बेटी अलार्म ख़राब था,
सोचा – जगाने के बाद सो लूँगा |
पढाई में विघ्न न हो,
परीक्षा – केंद्र भी छोड़ दूँगा |
आज मैं  आई० ऐ० एस०,
काश  पापा  होते !
फादर्स डे मुबारक हो पापा,
देख – सुन कितना खुश होते |

गरीब मजदूर का बेटा,
होनहार पढाई में तेज |
बन गया बड़ा अफसर,
रहा घर रूपये भेज |
हुई शादी आई खुशियाँ,
बहु ने दूरी बनाई |
परिवार सुख – चैन बेटे का मन,
पत्नि – धर्म की दुहाई |
खुश रहें बहु – बेटा,
माँ – बाप ने इच्छा बताई |
अभाव, बेरुखी का दर्द,
अंतिम – समय डाक्टरों ने भांपा |
गाँव में आया पत्र,
फादर्स डे मुबारक हो पापा |

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Saturday, June 11, 2016

अपनापन.


जून की तपती दोपहरी,
लू से झुलसते पेड़ – प्राणी |
एक से दूसरी टहनियों,
पर फुदकती चिड़िया |
सूरज की ओर देख,
असहाय सिहर गई |
बेजुबान पेड़ ने समझी,
बेजुबान प्राणी की पीड़ा |
झटक कर घने पत्ते,
आँचल में छुपा लिया.

तपती धूप और गर्मी,
से बेहाल कछुआ |
सूखे पोखर की तलहटी,
छुपने की असफल कोशिश |
कंकाल आखिरी – साँसें गिनता,
मिला मरणासन्न मेंढक |
बोला – दोस्त मैं हूँ न,
चल दिया पीठ पर लाद |
जलती धरती भूखा – प्यासा,
चलता रहा बेपरवाह |

गौ – धूलि की बेला,
गरमी कम हो गई |
शेरनी का नन्हा शावक,
माँ खो गई |
जंगली – कुत्तों का झुण्ड,
पिल्लों संग आ गया |
कुतिया की ममता जागी,
सुलाया और दूध पिलाया |
सवेरे ढूँढती शेरनी आई |
पिल्लों संग खेलता देख,
आँख भर आई |

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Friday, June 10, 2016