Sunday, December 11, 2016

 “ नो कैश “ ( No Cash )
1.       हाँ दोस्त आज फिर खड़ा हूँ,
रुपयों के लिए बैंक की कतार में |
कल मेरा नम्बर आते – आते,
कागज चिपका दिया “ नो कैश “
बैंक में रुपया ख़त्म हो गया,
मन मसोस वापस चला गया |
शाम को सब्जी नहीं बनी,
पत्नी ने अनमने मन से कहा –
आज किचड़ी बनाई है |
सो तो ठीक है लेकिन –
माँ की दवाई भी तो लानी है |
तभी चहक कर बिटिया बोली,
घबराओ नहीं पापा |
कुछ ही दिनों की बात है,
फिर सब ठीक हो जायेगा |
स्कूल में मास्टर जी ने बताया,
काला धन बाहर आयेगा ||

गरीब श्याम का बूढा बाप,
लम्बी बीमारी से लड़ते – लड़ते
कल रात हार गया |
बाप की मौत का गम,
दिल में दबाये,
अन्तिम संस्कार के लिए,
पांच सौ के दो नोट बदलवाने,
बैंक की लाइन में लग गया |
दोपहर एक बजे नम्बर आया,
क्लर्क ने आधार कार्ड जरुरी बताया,
मिन्नतें की, रोया गिडगिड़ाया |
घर में बाप की लाश पड़ी है,
फूटी कौड़ी पास नहीं है |
पास खड़े पत्रकार का दिल पसीजा,
उसने मैनेजर को फोन मिलाया |
सारी बात सुन मैनेजर आया,
तुरन्त गरीब का पैसा बदलवाया ||

गरीब किसान की बेटी की शादी,
बड़ी मुश्किल से तय हो पायी |
अब जब शादी का मौका आया,
नोटबंदी ने अडंगा लगाया |
जमा – पूँजी के पुराने नोट,
बैंक आकर जमा कराये |
शादी के लिए रूपये लेने,
लाइन में लग गया सवेरे – सवेरे,
खड़े – खड़े दोपहर नम्बर आया |
तब तक रुपये ख़त्म हो गए,
क्लर्क ने “ नो कैश ” बोर्ड लगाया |
चक्कर खा कर गिरा किसान,
पास खड़े लोगों ने उसे उठाया |
शाम को टी वी में समाचार दिखाया,
बैंक का मैनेजर पकड़ा गया |
सोना लेकर करोड़ों बदले,
“ नो कैश “ को हथियार बनाया ||