Sunday, March 12, 2017

चुटकी भर रंग.


होली त्यौहार है रंगों का,
यह जीवन का स्पन्दन है .
ये रंग भी कुछ कुछ कहते हैं,
जीवन रंगों का बंधन है.
कहने को चुटकी भर रंग है,
यह खुशियों का आलिंगन है.
होली तो एक बहाना है,
जीवन सजना है, संवारना है.
है मौका भूल न जायें हम,
जीवन उत्सव संग चलना है ||

आओ रंग लें तन मन संग संग,
होली के इन सतरंगों में.
भूलें जीवन के कडवे सच,
नई राह बने जीवन वन में.
जो गलत हुआ अब ना होवे,
खुशियाँ ढूंढें अपने मन में.
जीवन नव निर्मित करना है,
इन रंगों की परछाई में.
ये अबीर गुलाल और पिचकारी,
बदल रहे दुःख खुशियों में ||

होली के ये चटकीले रंग,
हर रंग संदेशा देता है.
रंग लो मन, मन चाहे रंग में,
कल क्या हो, किसने देखा है.
अपनों में अपनापन ढूंढें,
जीवन कर्तव्य निभाना है.
जो बीत गया नहीं आएगा,
जो है उसमें रम जाना है.
ये रंग बनें जीवन के रंग,
जीवन खुशियों से भरना है ||

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Wednesday, January 4, 2017

नया साल.

नया साल आया है जैसे,
बेटा विदेश से घर आये |
दुःख कोहरे में ढँकी जिन्दगी,
सूरज रोशनी ले आये |
मुद्दत बाद हवा है बदली,
चेहरों की उदासी छंट जाये |
चहक महक जाये घर आँगन,                    
बेटी जब जब घर आये ||

मनीआर्डर जैसे आया हो,
बेटा बहु परदेश बसे |
नई दुल्हनिया घर आई हो,
पहली पहली बार हँसे |
बीमार बाप की सुध लेने,
ससुराल से बेटी का आना |
पापा की सूनी आँखों से,
खुशियों की बूंद छलक जाना ||

नया साल लाया उम्मीदें,
रिश्तों में जमी बर्फ पिघले |
लौटें खोई ख़ुशी पुरानी,
हँसी ठहाके हो – हल्ले |
बीते पल नहीं लौटेंगे,
नए सवेरे की आशा |
थाली में अब दाल भी होगी,
बदले भोजन की परिभाषा ||

नए साल में नई उमंगें,
सोये सपनों को पंख लगे |
कर लेंगे जो कर न सके,
मंजिल आती पास लगे |
मनचाहा रोजगार भरपेट भोजन,
नई आशा का उदय हुआ |
मन कहता है पूरा होगा,
जो अब तक है नहीं हुआ ||
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