Wednesday, January 4, 2017

नया साल.

नया साल आया है जैसे,
बेटा विदेश से घर आये |
दुःख कोहरे में ढँकी जिन्दगी,
सूरज रोशनी ले आये |
मुद्दत बाद हवा है बदली,
चेहरों की उदासी छंट जाये |
चहक महक जाये घर आँगन,                    
बेटी जब जब घर आये ||

मनीआर्डर जैसे आया हो,
बेटा बहु परदेश बसे |
नई दुल्हनिया घर आई हो,
पहली पहली बार हँसे |
बीमार बाप की सुध लेने,
ससुराल से बेटी का आना |
पापा की सूनी आँखों से,
खुशियों की बूंद छलक जाना ||

नया साल लाया उम्मीदें,
रिश्तों में जमी बर्फ पिघले |
लौटें खोई ख़ुशी पुरानी,
हँसी ठहाके हो – हल्ले |
बीते पल नहीं लौटेंगे,
नए सवेरे की आशा |
थाली में अब दाल भी होगी,
बदले भोजन की परिभाषा ||

नए साल में नई उमंगें,
सोये सपनों को पंख लगे |
कर लेंगे जो कर न सके,
मंजिल आती पास लगे |
मनचाहा रोजगार भरपेट भोजन,
नई आशा का उदय हुआ |
मन कहता है पूरा होगा,
जो अब तक है नहीं हुआ ||
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