Wednesday, January 27, 2016

आओ  हिन्दुस्तान  बनायें.  


आओ,  सब मिल,  एक  नया  संसार  बनायें.
सपनों  से  भी  प्यारा,   हिन्दुस्तान  बनायें.

विश्वास करो,    कर  पायेंगे,   ये सदी  हमारी.
दुनिया  को,  उम्मीदें   हमसे,    अपनी   बारी.
गौरवशाली इतिहास हमारा,  “सोने की चिड़िया,” नाम.
देश वही,  है  धरा  वही,   बस,  करना  है  काम.
इतिहास स्वयं को  दोहराता,  हम  भी,   दोहरायें.
सपनों,   से  भी  प्यारा,    हिन्दुस्तान   बनायें.

गाँधी, सुभाष पटेल, भगतसिंह,  वीरों  का  संघर्ष.
व्यर्थ  नहीं  जाने  देंगे,   बलिदानों  का  उत्कर्ष.
राह दिखाई,  मिली विरासत,   पुनर्निर्माण  करेंगे.
हर हाथ  को काम मिले,   सबके  आँसू  पौंछेंगे.
सदियों से, जो  रहे उपेक्षित,   भागीदार  बनायें.
सपनों  से  भी  प्यारा,    हिन्दुस्तान   बनायें.

बेटा – बेटी  में, भेद न हो,   है माँग,  समय की.
मिलें,  बराबर अवसर  सबको,  जिम्मेदारी  सबकी.
घर – घर,  शिक्षा – दीप जले,  चहुँ ओर,  उजाला.
नारी – शिक्षा  हो  ऊपर,   ज्ञान  का   बोलबाला.
शिक्षा – केंद्र  हों,  कौशल – केंद्र,  माहौल  बनायें.
सपनों  से  भी,  प्यारा,    हिन्दुस्तान   बनायें.

आतंकवाद  भी  हारेगा,   अब  दुनिया  ने  जाना.
विश्व – शांति,  पर्यावरण में,  भारत का  लोहा माना.
आर्यभट्ट, रमन, चंद्रशेखर,  भारत – युग,  अब आयेगा.
शुरुवात हुई मंगल – ग्रह,  अंतरिक्ष में, तिरंगा लहरायेगा.
ज्ञान – विज्ञान की खोजों का,  आओ,  सिरमौर बनायें.
सपनों    से  भी   प्यारा,     हिन्दुस्तान   बनायें.

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Friday, January 22, 2016

अभिलाषा.

हे ईश्वर ! मन – बल दो इतना,   ऐसे हम इन्सान बनें.
इन्सानियत, रिश्तों से बढ़ कर,   चुनना हो, तो इसे चुनें.
न्याय कर सकें, प्रथम स्वयं से,   मन का वादा, ना टूटे.
सच का साथ,  कभी ना छूटे,   सब छूटे या  जग छूटे.

भूखा – नंगा,  रहे न कोई,   अशिक्षा,  अज्ञान  मिटाना है.
हम सबके और सब हैं हमारे,   जन – जन को, समझाना है.
कर्मण्यवाधि कारस्ते, मा फलेषु कदाचन:  गीता में, उपदेश दिया.
सपने,  सच कर  ही  दम लेंगे,   ऐसा,  अब  संकल्प किया.

मानव – मानव में, भेद नहीं,   हैं, सब ही, आदि – शक्ति संतान.
सबसे बड़ा  धर्म,  मानवता,   है, लहू  एक,  हों,  भले अनजान.
देश नहीं,  पूरा विश्व  है अपना,   सपना,  सच कर  जायेंगे.
आतंकवाद  की  हार है निश्चित,   नया,  इतिहास  बनायेंगे.



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Monday, January 18, 2016

बदली – हवा.


ठिठुरन भरी सर्दी,  से  रिश्ते,  इंतजार में,  विश्वास के  सूरज का.
जाने कहाँ, खो गई वह ?  हँसी – ठिठोली, भरत – मिलन, भाई का.
काँपते – हाथों से, कर रहे दुआ, सब हों सलामत, खुशियाँ, भर – मन.
माँ – बाप की,  बूढी आँखों  में,   छलक आया,  दर्द का  अकेलापन.

मौसम भी, बदल रहे,  रिश्तों की तरह,  पकी फसल पर, वर्षा की मार.
कर्ज में डूबा किसान, बेटी का ब्याह,  क्या खायेगी गाय ? और परिवार.
कैसे जुटाऊंगा,  बीमार – माँ की दवाई ? बिटिया की बिदाई,  बेटे की पढाई.
शायद, भगवान को मंजूर नहीं,  ना बापू ना, पीछे से आवाज, बिटिया की आई.

वास्तविकता  तो  और  भयानक,    जल – जंगल,  सब  खतरे में.
दूषित – जल है, मौत जीव की,  जहरीली – हवा, जीना मुश्किल शहरों में.
आओ  सब – मिल, सोच – समझ कर,   ऐसे कदम,  उठायेंगे.
प्राक्रतिक – सम्पदा,  रहे  सुरक्षित,    धरती,   स्वर्ग   बनायेंगे.



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