अव्यवस्था
जल बिन त्राही –
त्राही,
सूखा पड़ा तो हाहाकार
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जाने कब होगी वर्षा
?
बेबस जनता रही पुकार
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सक्षम कर लेते
इन्तजाम,
आफत गरीब मजदूर
किसान |
सवर्ण-कुएँ से मिले
ना पानी,
दलितों पर गुंडों की
मनमानी |
अब बारिश का मौसम
आया,
पानी सब ओर खुशियाँ
लाया |
ईश्वर की मेहरबानी
ज्यादा,
पानी – पानी सब ओर
छाया |
सड़कें गलियाँ पानी –
पानी,
शहरी जिन्दगी हो गयी
जाम |
लगातार बारिश
व्यवस्था बेहाल,
मूकदर्शक सरकार जाम
का झाम |
वर्षा नहीं तो चेहरे
मुरझाये,
वर्षा हुई तो सम्भाल
न पाये |
क्षमा करें रूकावट
के लिये खेद,
सच्ची बात व्यवस्था
में छेद |
प्रकर्ति से खिलवाड़
नीयत हमारी,
अपनी करनी हमीं पर
भारी |
मिलजुल रहें
व्यवस्था सुधारें,
काम करने की बारी
हमारी |
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