कन्या – पूजन.
अभागा / अधूरा रह
गया घर,
कन्या का जहाँ निवास
नहीं |
कन्या की उपस्थिति
मात्र ही,
समझने को काफी, बातें
अनकहीं |
चहकती महकती चिड़िया
की तरह,
जीवन्त घर का कोना –
कोना |
छोटी सी टाफी /
चाकलेट बदले,
ले लो खुशियाँ, मन
भर सोना ||
गरीब कन्याओं को भी
शायद इन्तजार,
नव – रात्रों में
कन्या – पूजन |
हो गया पवित्र घर
आने से,
छोटे उपहार और भरपूर
भोजन |
जाने के बाद भी
प्यारी प्यारी बोलियाँ,
तैरती हवा में खुशबू
निर्बाद |
कन्याओं के बहाने घर
घर जाकर,
बाँट रही दुर्गा माँ
मानो प्रसाद ||
आज के माहौल में
ज्यादा उपयुक्त,
कन्या – पूजन समाज
को सन्देश |
कोख में मारो,
बेटियाँ बचाओ,
बेटियों से
गौरान्वित पूरा देश |
पढाओ लिखाओ अच्छी
परवरिश,
बेटा – बेटी बराबर
बढ़ कर हैं बेटियाँ |
शिक्षित बेटी दो
घरों की रौशनी,
सभ्य समाज की पहचान
बेटियाँ ||
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