“ नो कैश “ ( No Cash )
1. हाँ दोस्त आज फिर खड़ा हूँ,
रुपयों
के लिए बैंक की कतार में |
कल मेरा
नम्बर आते – आते,
कागज
चिपका दिया “ नो कैश “
बैंक
में रुपया ख़त्म हो गया,
मन मसोस
वापस चला गया |
शाम को
सब्जी नहीं बनी,
पत्नी
ने अनमने मन से कहा –
आज
किचड़ी बनाई है |
सो तो
ठीक है लेकिन –
माँ की
दवाई भी तो लानी है |
तभी चहक
कर बिटिया बोली,
घबराओ
नहीं पापा |
कुछ ही
दिनों की बात है,
फिर सब
ठीक हो जायेगा |
स्कूल
में मास्टर जी ने बताया,
काला धन
बाहर आयेगा ||
गरीब
श्याम का बूढा बाप,
लम्बी
बीमारी से लड़ते – लड़ते
कल रात
हार गया |
बाप की
मौत का गम,
दिल में
दबाये,
अन्तिम
संस्कार के लिए,
पांच सौ
के दो नोट बदलवाने,
बैंक की
लाइन में लग गया |
दोपहर
एक बजे नम्बर आया,
क्लर्क
ने आधार कार्ड जरुरी बताया,
मिन्नतें
की, रोया गिडगिड़ाया |
घर में
बाप की लाश पड़ी है,
फूटी
कौड़ी पास नहीं है |
पास खड़े
पत्रकार का दिल पसीजा,
उसने
मैनेजर को फोन मिलाया |
सारी
बात सुन मैनेजर आया,
तुरन्त
गरीब का पैसा बदलवाया ||
गरीब
किसान की बेटी की शादी,
बड़ी
मुश्किल से तय हो पायी |
अब जब
शादी का मौका आया,
नोटबंदी
ने अडंगा लगाया |
जमा –
पूँजी के पुराने नोट,
बैंक आकर
जमा कराये |
शादी के
लिए रूपये लेने,
लाइन
में लग गया सवेरे – सवेरे,
खड़े –
खड़े दोपहर नम्बर आया |
तब तक
रुपये ख़त्म हो गए,
क्लर्क
ने “ नो कैश ” बोर्ड लगाया |
चक्कर
खा कर गिरा किसान,
पास खड़े
लोगों ने उसे उठाया |
शाम को
टी वी में समाचार दिखाया,
बैंक का
मैनेजर पकड़ा गया |
सोना
लेकर करोड़ों बदले,
“ नो
कैश “ को हथियार बनाया ||