ब्रह्मांड में क्या हम अकेले ?
जुलाई १९६९, अमेरिका के, नील आर्मस्ट्रांग.
और एल्डिरिन बने, इतिहास - पुरुष.
मानव का चन्द्रमा पर, पहला कदम.
बन गया खोज, खोजने का हर्ष.
चालीस साल लग गये, चांद पर.
पानी की खोज, बनेगी सूत्रधार.
भविष्य में, मानव की अंत्रिक्ष-यात्रायें,
संचालन होगा, निर्भर चांद पर.
अभी अनुमान लगाना, नामुमकिन.
हमसे भी अधिक विकसित शायद,
सभ्यतायें, किन्हीं ग्रहों पर,
हैं भी या नहीं, कहना मुश्किल.
कभी-कभी कुछ घटनायें, अजीब,
जगाती कौतूहल, नव-नौन.
न जाने, नक्षत्रों से कौन ?
है देता, हमें निमन्त्रण मौन.
वैग्य़ानिक कुर्ज्वेल की आशा.
नैनो-टैक्नोलोजी, करे दूर निराशा.
मानव सक्षम हो जायेगा.
उमर का बढना, रुक जायेगा.
अमरत्व की ओर बढा कदम,
हजारों वर्ष की आयु, लायेगा.
तब शायद, कुछ जानें सही,
हम मानव अकेले, या नहीं ?
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