माँ
को श्रधांजली.
जानते हुए भी,
आज माँ नहीं, माँ
की यादें शेष.
खोज रहा हूँ,
भूला खजाना, कुछ
यादों के, अवशेष.
गंगा – किनारे, दीप – दान कर,
गो – धूलि की बेला
में.
माँ को अर्पण,
मन का तर्पण,
गंगा – तट के रेला
में.
आज भी, दे रही
सम्बल, मौन माँ
की याद.
जैसे, तस्वीर कह
रही हो, अनकहे,
शब्दों का नाद.
“ बेटा घबराना नहीं. “
ये समय भी,
बदल जायेगा.
“ सच का साथ,
छोड़ना मत,” ईश्वर काम बनायेगा.
कितना, विचित्र संयोग
है ! माँ का अहसास
पाया.
भुलावा ही सही, कह
उठता हूँ, -- हाँ, माँ,
अभी आया.
सूना है मन,
मन का कोना,
माँ के जाने
के बाद.
नहीं भर पायेगा,
वह स्थान, माँ
ही माँ, बस
माँ की याद.
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