Saturday, December 19, 2015

माँ  को  श्रधांजली.


जानते  हुए  भी,  आज  माँ  नहीं,    माँ  की  यादें  शेष.
खोज  रहा  हूँ,  भूला  खजाना,    कुछ  यादों  के, अवशेष.
गंगा – किनारे,  दीप – दान  कर,   गो – धूलि  की  बेला  में.
माँ  को  अर्पण,  मन  का  तर्पण,   गंगा – तट  के  रेला  में.

आज  भी,   दे  रही  सम्बल,    मौन   माँ  की  याद.
जैसे,  तस्वीर  कह  रही  हो,   अनकहे,  शब्दों  का  नाद.
“ बेटा  घबराना  नहीं. “   ये  समय  भी,  बदल  जायेगा.
“ सच  का  साथ,  छोड़ना  मत,”  ईश्वर  काम  बनायेगा.

कितना,  विचित्र  संयोग  है !   माँ  का   अहसास  पाया.
भुलावा  ही  सही, कह  उठता  हूँ, -- हाँ,  माँ,  अभी  आया.
सूना  है  मन,  मन  का  कोना,   माँ  के  जाने  के  बाद.      
नहीं  भर  पायेगा,  वह  स्थान,   माँ  ही  माँ,  बस  माँ  की  याद.

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