“क्षमा.’’
क्षमा- दान, है, महा- दान, जो
समझा, वह है, ज्ञानी.
“ क्षमा- नहीं ; पर अड़ियल- रुख,
है, नासमझी, नादानी.
बड़े- बड़ों को, शोभा देता,
क्षमा करें, पहलू देखें.
बड़े, बड़प्पन, भी दिखलायें,
छोटों का मन, भी रखें.
अपनी जिद, पर, अड़े रहें जो, जानबूझ,
अनजान बनें.
नाहक, तिल का ताड, बनायें,
लाख मनाओ, ना मानें.
खुद तो परेशान रहते ही, औरों को, भी
बेचैन करें.
इन सबकी, बस ,दवा एक है,
क्षमा करें, मन शान्त करें.
जीवन की सकारात्मक
उर्जा, की परिणति, है क्षमा.
कायरों का नहीं , वीरों का,
आभूषण है क्षमा.
जो, जीवन से, दूर भागते, वे, क्या,
क्षमा करेंगे.
स्वार्थ, ईर्षा, हावी, जब
हों, सत्यानाश, करेंगे.
क्षमा करे, और, क्षमा भी, मांगें,
अपनी गलती, करने पर.
निस्वार्थ- भाव, औरों का, सुख भी, ध्यान रहे, ये जीवन भर.
अपनी खुशी का, मतलब तब ही,
जब, अपने भी, खुश हों.
मिलजुल, मसले सुलझा
लेंगे, अपनों का, दुःख अपना हो.
डी० एन० ए० महापुरुषों के
हैं, क्षमा किया, दुश्मन को.
एक नहीं, कई बार, हुआ यह, इतिहास
गवाह, सभी को.
प्रभु ईशा, ने, क्षमा किया,
सूली चढाने, वाले को.
माफी का, सन्देश दे गये,
मरते- मरते, जन-जन, को.
भृगु ऋषि ने, विष्णु- छाती,
चढ़, पैरों से, प्रहार किया.
माफ कर दिया, बोले, विष्णु,
ऋषिवर, पैर को कष्ट हुआ.
हम -सब भी, क्षमा करना,
सीखें, छोटे झगडे, मामूली बात.
घर –परिवार, खुशी में , झूमें, जैसे,
फूलों की बरसात.
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