नव –
बसंत, आयेगा.
( यह रचना, २१ दिसम्बर, २०१४ को लिखी गई. )
कहने से, ज्यादा
सुनना, और, सुनकर
सोच – विचार, करो.
शायद, हमसे भूल
हुई, करो, भूल – सुधार, न देर
करो.
बाधाओं, से डरना
नहीं, और, न ही, समय गँवाना
है.
राह, कँटीली हो या, सुगम,
हर हाल, में, चलते
जाना है.
दूर करेंगे, हम न डरेंगे,
बाधाएं, जीवन – पथ की.
नहीं, रुकेंगे, नहीं,
झुकेंगे, बात,
आज हो, या,
कल की.
आशाओं में, रंग भरेंगे,
नव – बसन्त, फिर आयेगा.
नया सवेरा, आयेगा,
जीवन, फिर से,
मुस्कायेगा.
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