कल.
( यह रचना, २७ जनवरी २०१५ को लिखी गई. )
सपने, सच
भी, होते हैं, ये,
ख्याल हमारा है.
कल, की नींव,
आज रख दी
है, कल, हमारा
है.
कल, को देखा
नहीं, मगर, तस्वीर,
हमारे मन में,
है.
कसर, नहीं छोड़ेंगे,
तिल भर, पूरी,
कोशिश मन में
है.
तूफान, तो आते ही
रहते
हैं, हमें, निबटना
आता है.
चाहे, जो हालात
बनें, हमें, मार्ग
बनाना, आता है.
सच, जो जाना,
सुना है, अब – तक,
उसे, निभाने की
बारी.
रिश्ते – नाते, अपनी
जगह, हैं, नेक –
नीयत, मंजिल
म्हारी.
मानवता, का पाठ,
जो, सीखा, अब, आई,
अपनी
बारी.
आँच नहीं, आने
देंगे, हम, न्यौछावर दुनिया
सारी.
अच्छे – कर्मों की
है, कोशिश, परिणामों,
से बेपरवाह.
गीता – ज्ञान, मार्ग दर्शक
हो, यही, बने
जीने की राह.
आज, यदि हम,
अच्छा करते, कल,
को बेहतर होना
है.
कल, की बातें, कल,
ही होंगी, वर्तमान में, जीना
है.
ईश्वर – आशीर्वाद, साथ
है, अच्छे परिणामों की आस.
आखिर, मंजिल पा
ही लेंगे, मन
में है, पूरा – विश्वास.
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