Monday, October 10, 2016

कन्या – पूजन.


अभागा / अधूरा रह गया घर,
कन्या का जहाँ निवास नहीं |
कन्या की उपस्थिति मात्र ही,
समझने को काफी, बातें अनकहीं |
चहकती महकती चिड़िया की तरह,
जीवन्त घर का कोना – कोना |
छोटी सी टाफी / चाकलेट बदले,
ले लो खुशियाँ, मन भर सोना ||

गरीब कन्याओं को भी शायद इन्तजार,
नव – रात्रों में कन्या – पूजन |
हो गया पवित्र घर आने से,
छोटे उपहार और भरपूर भोजन |
जाने के बाद भी प्यारी प्यारी बोलियाँ,
तैरती हवा में खुशबू निर्बाद |
कन्याओं के बहाने घर घर जाकर,
बाँट रही दुर्गा माँ मानो प्रसाद ||

आज के माहौल में ज्यादा उपयुक्त,
कन्या – पूजन समाज को सन्देश |
कोख में मारो, बेटियाँ बचाओ,
बेटियों से गौरान्वित पूरा देश |
पढाओ लिखाओ अच्छी परवरिश,
बेटा – बेटी बराबर बढ़ कर हैं बेटियाँ |
शिक्षित बेटी दो घरों की रौशनी,
सभ्य समाज की पहचान बेटियाँ ||
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