Monday, January 18, 2016

बदली – हवा.


ठिठुरन भरी सर्दी,  से  रिश्ते,  इंतजार में,  विश्वास के  सूरज का.
जाने कहाँ, खो गई वह ?  हँसी – ठिठोली, भरत – मिलन, भाई का.
काँपते – हाथों से, कर रहे दुआ, सब हों सलामत, खुशियाँ, भर – मन.
माँ – बाप की,  बूढी आँखों  में,   छलक आया,  दर्द का  अकेलापन.

मौसम भी, बदल रहे,  रिश्तों की तरह,  पकी फसल पर, वर्षा की मार.
कर्ज में डूबा किसान, बेटी का ब्याह,  क्या खायेगी गाय ? और परिवार.
कैसे जुटाऊंगा,  बीमार – माँ की दवाई ? बिटिया की बिदाई,  बेटे की पढाई.
शायद, भगवान को मंजूर नहीं,  ना बापू ना, पीछे से आवाज, बिटिया की आई.

वास्तविकता  तो  और  भयानक,    जल – जंगल,  सब  खतरे में.
दूषित – जल है, मौत जीव की,  जहरीली – हवा, जीना मुश्किल शहरों में.
आओ  सब – मिल, सोच – समझ कर,   ऐसे कदम,  उठायेंगे.
प्राक्रतिक – सम्पदा,  रहे  सुरक्षित,    धरती,   स्वर्ग   बनायेंगे.



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