Friday, January 22, 2016

अभिलाषा.

हे ईश्वर ! मन – बल दो इतना,   ऐसे हम इन्सान बनें.
इन्सानियत, रिश्तों से बढ़ कर,   चुनना हो, तो इसे चुनें.
न्याय कर सकें, प्रथम स्वयं से,   मन का वादा, ना टूटे.
सच का साथ,  कभी ना छूटे,   सब छूटे या  जग छूटे.

भूखा – नंगा,  रहे न कोई,   अशिक्षा,  अज्ञान  मिटाना है.
हम सबके और सब हैं हमारे,   जन – जन को, समझाना है.
कर्मण्यवाधि कारस्ते, मा फलेषु कदाचन:  गीता में, उपदेश दिया.
सपने,  सच कर  ही  दम लेंगे,   ऐसा,  अब  संकल्प किया.

मानव – मानव में, भेद नहीं,   हैं, सब ही, आदि – शक्ति संतान.
सबसे बड़ा  धर्म,  मानवता,   है, लहू  एक,  हों,  भले अनजान.
देश नहीं,  पूरा विश्व  है अपना,   सपना,  सच कर  जायेंगे.
आतंकवाद  की  हार है निश्चित,   नया,  इतिहास  बनायेंगे.



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