Friday, May 15, 2015

खुश- रहो.

हर खुशी हो वहां,  कदम तेरे जहाँ.
जिन्दगी हो वहां,  तू रहे भी जहाँ.
खुश रहें, ना रहें,  है हमें गम नहीं.
जो सोचा, वो होगा,  मुकम्मल नहीं.
था भरोसा हमें,  आज भी, है वही.
हम तुम्हारे लिये हैं,  कोई शक नहीं.
मुस्कुराते रहो,  हर समय, हर, जहाँ.
जिंदगी हो वहां,  तू रहे भी जहाँ .

हाँ अँधेरे हैं आगे,  हमें डर नहीं.
कोई जुगनु दिखायेगा,  मंजिल नई.
सलामत रहो,  हम करेंगे दुआ.
कर भला ,हो भला,  सीख सिखला गई.

सबको सब कुछ मिले,  ये जरुरी नहीं.
जो मिला, है मयस्सर,  है शिकवा नहीं.
ज्ञान की रोशनी,  से हो, रोशन, वहां.
जिन्दगी हो वहां,  तू रहे भी जहाँ.

कामयाबी की,  हर नई, मंजिल मिले.
जो चाहा, जो ठाना,  वो सब कुछ मिले.
झोली भर दें, खुशी की,  प्रभु सब से है न्यारा.
चाँद- तारे सजा दें,  जो आँगन  तुम्हारा.
सभी सुख मिलें,  हो ईश्वर की माया.
जीवन में सब कुछ,  सफलता का साया.
खुशियों का डेरा हो,  चांदनी हो वहां.
जिन्दगी हो वहां,  तू रहे भी जहाँ.
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( यह रचना मूलतः २७ सितम्बर २०१२ को लिखी गई. )        


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