सौदागर
जिन्दगी, का हिसाब – किताब, नहीं रख पाया,
दुरुस्त.
इसीलिये आज, उम्मीदों से
दूर, सब – कुछ, अस्त – व्यस्त.
शुरुवात, अच्छी, मेहनत, भी की, कहीं कुछ, गड़बड़, हो गई.
समझ न आया, जिन्दगी का खेल,
ओले, गिरे, बरसात हो गई.
कदम, फूंक – फूंक, रखे, उम्मीद, सपने जगाने को थी.
लौट गई, खुशियाँ, उलटे – पाँव, जो,
आने को थीं.
जो, होना था, हो गया, अब,
जीवन, फिर संवारुंगा.
चतुर, सौदागर, न सही, हर रंग, फिर से,
भरूँगा.
सम्भावनाओं, को सम्भव बनाना, सीखने की बारी
है.
परिस्थितियाँ, विपरीत सही, फूंकना, नई,
चिंगारी है.
बड़ा सौदागर, है, ऊपर
वाला, कुछ लेता, कुछ देता,
भी है.
फैसला, हो चुका, इरादा, पक्का, सोचना ही नहीं, करना, भी है.
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