Thursday, June 25, 2015

सत्यमेव, जयते.


( यह रचना, १४ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. )

सच,  को  सच  कहना,  भी  अब,     सबके  बस  की,  बात  नहीं.
सोचें,  हित  अपना,   किस  में  है,     झूठ,  बोलना,   पाप  नहीं.
सच,   जो   बोला,   खड़ा – कटघरे,      झूठे,    देंगे,    शिक्षा.
सत्यवादी  की,   जीवन – पथ  पर,     पग – पग,  होगी,   परीक्षा.

जो,  जीवन  में,  विष  घोलें,     सच,  बोल   कभी,  क्या  पायेंगे.
गले – मिलें,  और  छुरा,  घोंप  दें,    जलते,  दीपक  को,  बुझायेंगे.  
फिर  भी,  रोशनी,  जिन्दा  है,   देवदूत – सा,  नन्हा, - दीपक, आयेगा.
ज्यादा – दिन,  नहीं,   छुपा,  रहेगा,      झूठ,  तो,   पकड़ा,  जायेगा.

सच,  तो,   अजर – अमर,  है,    काल – द्रष्टि,   से,  भी,  ऊपर.
समय,  साक्षी  है,   जीता,  सच  ही,     कठिन – परीक्षा,  दे,  दे,  कर.
इसीलिये,   कभी,   हार   न  मानो,     झूठ,  के,   कोड़े   खा  कर.
अन्तिम – विजय,   सत्य  की,  होगी,    गाँठ,  बाँध  लो,   कस – कर.


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