सत्यमेव, जयते. 
( यह रचना, १४ जुलाई, २०१४ को लिखी गई. ) 
सच,  को  सच 
कहना,  भी  अब,     सबके 
बस  की,  बात 
नहीं. 
सोचें,  हित  अपना,   किस 
में  है,     झूठ, 
बोलना,   पाप 
नहीं. 
सच,   जो   बोला,   खड़ा – कटघरे, 
    झूठे,    देंगे,    शिक्षा.
सत्यवादी  की,   जीवन – पथ 
पर,     पग –
पग,  होगी,   परीक्षा.
जो,  जीवन  में, 
विष  घोलें,     सच, 
बोल   कभी, 
क्या  पायेंगे. 
गले – मिलें,  और  छुरा, 
घोंप  दें,    जलते, 
दीपक  को,  बुझायेंगे.  
फिर  भी,  रोशनी, 
जिन्दा  है,   देवदूत –
सा,  नन्हा, - दीपक, आयेगा. 
ज्यादा – दिन,  नहीं,   छुपा, 
रहेगा,      झूठ, 
तो,   पकड़ा, 
जायेगा.
सच,  तो,   अजर – अमर,  है,    काल – द्रष्टि,   से, 
भी,  ऊपर.
समय,  साक्षी  है,  
जीता,  सच  ही,     कठिन – परीक्षा,  दे, 
दे,  कर. 
इसीलिये,   कभी,   हार   न  मानो,
    झूठ, 
के,   कोड़े   खा  कर. 
अन्तिम – विजय,   सत्य 
की,  होगी,    गाँठ, 
बाँध  लो,   कस – कर.
-    - - - - ० - - - - - 
 
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