Thursday, June 18, 2015

आगे बढ़ो.  


( यह रचना, २१ जून, २०१४ को, लिखी गई. )

बाधायें,  कब  रोक,  सकीं  हैं,    आगे,  बढ़ने  वालों  को.
देनी,  होगी,   रोज  परीक्षा,    ख्वाब,   देखने,  वालों  को.
जीवन – रण,  एक,  खुली  चुनौती,   दम – ख़म,  तो  स्वीकार  करो.
खतरों,  की  बात,   करें  कायर,    बढे, - चलो,   सब,   पार  करो.

कोई,  समस्या  नहीं,   गरीबी,    साधन,  या,  हों   अन्य  विधान.
जहाँ – चाह,   वहां,   राह  मिले,    पृथ्वी,   अम्बर   या   पाताल.
मन  में,  लक्ष्य,  यदि,  ठान  लिया,    तो,  कोई,  रोक  न  पायेगा.
कर्म,   यदि   सम्पूर्ण – समर्पण,    लक्ष्य,   भेद   कर,   आयेगा.

बढे – चलो,  चलते  ही  रहो,    जब  तक,  मंजिल,  से  हो,  मिलान.
अंकित  कर  दो,  समय – रेत  पर,   पद – चिन्हों,  से   बने,  निशान.  
विश्वास  करो,   है  विजय  तुम्हारी,    तुमने,  यदि   आह्वान   किया.
जीत  लिया,   उसने,   जग  सारा,    जिसने,   मन  को,   जीत  लिया.


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