आगे बढ़ो.  
( यह रचना, २१ जून, २०१४ को, लिखी गई. )
बाधायें,  कब  रोक,  सकीं  हैं,    आगे, 
बढ़ने  वालों  को.
देनी,  होगी,   रोज  परीक्षा,
   ख्वाब,   देखने, 
वालों  को.
जीवन – रण,  एक,  खुली 
चुनौती,   दम – ख़म, 
तो  स्वीकार  करो.
खतरों,  की  बात,   करें 
कायर,    बढे, - चलो,   सब,   पार 
करो.
कोई,  समस्या  नहीं,   गरीबी,    साधन, 
या,  हों   अन्य 
विधान. 
जहाँ – चाह,   वहां,   राह  मिले,
   पृथ्वी,   अम्बर   या   पाताल.
मन  में,  लक्ष्य, 
यदि,  ठान  लिया,   
तो,  कोई,  रोक 
न  पायेगा.
कर्म,   यदि   सम्पूर्ण – समर्पण,    लक्ष्य,   भेद   कर,  
आयेगा. 
बढे – चलो,  चलते  ही  रहो,
   जब 
तक,  मंजिल,  से 
हो,  मिलान.
अंकित  कर  दो, 
समय – रेत  पर,   पद –
चिन्हों,  से   बने, 
निशान.  
विश्वास  करो,   है 
विजय  तुम्हारी,    तुमने, 
यदि   आह्वान   किया.
जीत  लिया,   उसने,   जग 
सारा,    जिसने,   मन  को,   जीत 
लिया.
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