Wednesday, June 24, 2015

श्रमदान.  


( यह रचना,  १३ जुलाई २०१४  को, लिखी गई. )

आओ,  सब – मिल,  कुछ  काम,  करें,    कुछ  काम,  करें,  श्रमदान,  करें.
एक  और  एक,   ग्यारह   बनते,    यह,  सिद्ध,  करें,   सत्कर्म,  करें.
आओ,  मिल – बैठें,   बात – करें,     कुछ,  सुनें,  कहें,   वार्तालाप  करें.
अपने – लिये,  तो,  सब,  जीते,    कुछ,  अलग  सोच,  कुछ  अलग  करें.
ओरों,  के  लिये,  भी,   कुछ,  सोचें,    कुछ,  नया  करें,   संकल्प,  करें.

गाँव,  शहर,   या   गली – मोह्हला,    रहते  जहाँ,   है,  घर - अपना.
अपनी  ही,   जिम्मेदारी  है,    सब,  मिल – कर,   बने,  देश – अपना.
अपने – घर   की,   साफ – सफाई,      खुद    ही,   करनी   होगी.
मिल – कर,  हम  सब,   कर,  सकते  हैं,    कोशिश,   करनी   होगी.
गाँव,  शहर,   घर,   स्वर्ग,   बनेगा,    भारत,   की   जय    होगी.

श्रमदान,   एक   है,   महादान,      जन – कल्याण,   उद्देश्य   हमारा.
तेरा – मेरा,   कुछ   भी,    नहीं,    सब  से  ऊपर,   है,  देश,   हमारा.
हम,   बदलेंगे,   सब,   बदलेंगे,     श्रमदान,   बने,   जन,    भागीदारी.
मिल –जुल,   मसले,   सुलझा   लेंगे,     हम – सब,   लेंगे,   जिम्मेदारी.
आओ,  मिल,  अब  शुरुवात  करें,    कुछ  नया  करें,   है,  बारी,  हमारी.


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