श्रमदान.  
( यह रचना,  १३ जुलाई
२०१४  को, लिखी गई. )
आओ,  सब – मिल,  कुछ 
काम,  करें,    कुछ 
काम,  करें,  श्रमदान, 
करें. 
एक  और  एक,   ग्यारह   बनते,    यह, 
सिद्ध,  करें,   सत्कर्म, 
करें.
आओ,  मिल – बैठें,   बात –
करें,     कुछ, 
सुनें,  कहें,   वार्तालाप 
करें. 
अपने – लिये,  तो,  सब, 
जीते,    कुछ,  अलग 
सोच,  कुछ  अलग 
करें. 
ओरों,  के  लिये, 
भी,   कुछ,  सोचें,   
कुछ,  नया  करें,   संकल्प, 
करें. 
गाँव,  शहर,   या   गली – मोह्हला,    रहते 
जहाँ,   है,  घर -
अपना.
अपनी  ही,   जिम्मेदारी 
है,    सब,  मिल – कर,   बने, 
देश – अपना.
अपने – घर   की,   साफ – सफाई,      खुद    ही,  
करनी   होगी. 
मिल – कर,  हम  सब,   कर, 
सकते  हैं,    कोशिश,   करनी   होगी. 
गाँव,  शहर,   घर,   स्वर्ग,   बनेगा,   
भारत,   की   जय    होगी. 
श्रमदान,   एक   है,  
महादान,      जन –
कल्याण,   उद्देश्य   हमारा.
तेरा – मेरा,   कुछ   भी,    नहीं,   
सब  से  ऊपर,   है, 
देश,   हमारा. 
हम,   बदलेंगे,  
सब,   बदलेंगे, 
   श्रमदान,  
बने,   जन,    भागीदारी. 
मिल –जुल,   मसले,  
सुलझा   लेंगे,     हम –
सब,   लेंगे,   जिम्मेदारी.
आओ,  मिल,  अब 
शुरुवात  करें,    कुछ 
नया  करें,   है, 
बारी,  हमारी. 
-    - - - - ० - - - - -
 
No comments:
Post a Comment