काम की
बात.
( यह रचना, १८ जून, २०१४ को, लिखी गई. )
छोटे – दिल, से, बड़ी बातें, कर,
कोई, बड़ा नहीं
बनता.
टूटे – दिल, से, चलना मुश्किल,
कोई, खड़ा, नहीं
होता.
आधे – मन, से, किया काम,
कभी, पूरा, नहीं
होता.
महापुरुषों की सीख,
सुभिच्छा, हमको, राह
दिखाते हैं.
माँ का, आशीर्वाद,
प्यार, हर – मंजिल तक,
पहुंचाते हैं.
बिन, गहरे – पानी, में, उतरे,
कोई, तैराक, नहीं, बनता.
बिना, हौसले, पंखों
से ही, कोई,
उडान, नहीं भरता.
पीठ, दिखा – कर, भाग,
जाय, उसको, सम्मान,
नहीं, मिलता.
गुरु – संगरक्षण, कठिन –
परिश्रम, बने, सफलता,
का, आधार.
नेक – नीयत, और कर्मठता,
से, हों, हर, मुश्किल, से,
पार.
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