Saturday, June 13, 2015

नदी.


( यह रचना, २१ अप्रैल, २०१४ को, लिखी गयी. )
जीवन,  है, एक  बहती  नदिया,  सुख – दुःख,  दोनों है,  किनारे.
चलती – सांसें,   ज्यों,  बहता - जल,    गति, देते,   कर्म – हमारे.
तल,  समतल,  या  उबड़ – खाबड़,   नदियों  का  काम  है,  बहना.
जीवन – सन्देश,  है, नदियों  का,    हर  हाल,  में, खुश  है  रहना.

नदियाँ हैं,  तो  जीवन  है,   जल  बिन,   जीवन  सम्भव  ही  नहीं.
प्राणी – प्राणी  में, भेद  नहीं,   सबको – जीवन,   दिन – रात,   बहीं.
हम  भी, सीखें,   कुछ  तो,  सीखें,   क्यों,  पर – सेवा,  से  भाग रहे.
कुछ  मदद  करें,  उपकार  करें,    जो,  इस  आशा  में,  ताक  रहे.

जो  भी  मिले,  पहाड़ – पेड़,     नदी,  सबको  गले  लगाती  है.
गन्दा  या  साफ, में   भेद नहीं,    सब,  साथ  बहा  ले  जाती  है.
हम – सब,  भी, सबसे  प्रेम  करें,    यह,  नदी  हमें,  समझाती  है.  
जीयो  और  जीने  दो,  सबको,     कल – कल,  संगीत,  सुनाती  है.  

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