नदी.
( यह रचना, २१ अप्रैल, २०१४ को, लिखी गयी. )
जीवन, है, एक बहती
नदिया, सुख – दुःख, दोनों है, किनारे.
चलती – सांसें, ज्यों, बहता - जल,
गति, देते, कर्म –
हमारे.
तल, समतल, या उबड़ –
खाबड़, नदियों का काम है,
बहना.
जीवन – सन्देश, है, नदियों का, हर हाल,
में, खुश है रहना.
नदियाँ हैं, तो जीवन है, जल
बिन, जीवन सम्भव
ही नहीं.
प्राणी – प्राणी में, भेद नहीं,
सबको – जीवन, दिन – रात, बहीं.
हम भी, सीखें, कुछ तो,
सीखें, क्यों, पर – सेवा, से भाग
रहे.
कुछ मदद करें,
उपकार करें, जो, इस आशा में,
ताक रहे.
जो भी मिले, पहाड़
– पेड़, नदी,
सबको गले लगाती
है.
गन्दा या साफ, में
भेद नहीं, सब, साथ
बहा ले
जाती है.
हम – सब, भी, सबसे प्रेम
करें, यह,
नदी हमें, समझाती
है.
जीयो और जीने दो,
सबको, कल – कल, संगीत,
सुनाती है.
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