मेरा
गाँव, - मेरा देश.  
( यह रचना, १८ जुलाई, २०१४ को, लिखी गई. )
मेरा – गाँव,   ही,   मेरा – देश 
है,    देश,   बना  
गाँवों  से,  ही. 
गाँव,  खुशहाल,  तो, 
देश,  खुशहाल,   भारत – गौरव, 
गाँवों,  से  ही.
सत्तर, -  प्रतिशत   भारत,  
अब   भी,     गाँवों,  
में,   बसता,   है. 
गाँव  का,  किसान – मजदूर ,- मिलकर,   हम – सब, 
का  पेट,  भरता 
है.  
गाँव,  आज  भी,  
कम  प्रदूषित,      छत, 
पर,   मोर  नाचते, 
हैं. 
तोता,  चिड़िया,   गौररिया, 
मिल,     मोहक,  संगीत,  
सुनाते,  हैं. 
उजली – उजली,    भोर,   सुनाये,     
तुतले – तुतले,     बोल. 
सूर्योदय,   का    द्रश्य,   
विहंगम,      देखें   तो,   
अनमोल. 
शहर,  बने  शरीर, 
भारत,  का,      आत्मा, 
बसती,  गांवों,  में.
निश्छल – प्रेम,  और  भाई – चारा,     आज 
भी,  मिलता,  गाँवों, 
में. 
इसीलिये,  यह  बना 
जरुरी,     सब – मिल,   ग्राम – विकास,    करें.
भागीदारी,   शत –
प्रतिशत,   हो,     नहीं,  
हुआ  जो,    उसे, 
करें. 
आओ,  नव – भारत,  निर्माण, 
करें,     ये,  आज,  
शपथ  लेतें  हैं. 
शहरों,   गांवों,  में,  
भेद   रहे   ना,    
ऐसा,  भारत,   गढ़ते  
हैं. 
गावों,   का   सम्पूर्ण – विकास,     भारत 
को,   शिखर   पंहुचाएगा.
खेल – कूद,  या   सशत्रसेनाएं,     भारत  
का,   तिरंगा   लहरायेगा.
-    - - - - ० - - - - - 
 
No comments:
Post a Comment