Monday, July 6, 2015

नव – बसंत, आयेगा.


( यह रचना, २१ दिसम्बर, २०१४ को लिखी गई. )

कहने  से,   ज्यादा  सुनना,    और,   सुनकर  सोच – विचार,  करो. 
शायद,   हमसे   भूल  हुई,      करो,  भूल – सुधार,   न  देर  करो.
बाधाओं,  से   डरना  नहीं,     और,   न  ही,   समय   गँवाना  है.  
राह,  कँटीली   हो  या,   सुगम,    हर  हाल,  में,   चलते  जाना  है.

दूर  करेंगे,   हम   न   डरेंगे,    बाधाएं,   जीवन – पथ   की.
नहीं,  रुकेंगे,  नहीं,  झुकेंगे,     बात,  आज  हो,  या,  कल  की.
आशाओं   में,   रंग   भरेंगे,      नव – बसन्त,   फिर   आयेगा.
नया   सवेरा,   आयेगा,        जीवन,    फिर  से,   मुस्कायेगा.


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