Monday, June 15, 2015

 जीवन संघर्ष.


( यह रचना, २३ अप्रैल, २०१४ को लिखी गई. )

कभी – कभी, आँखों  के  सामने,   दिखता  जो,   वह  सत्य  नहीं.
मरु  भूमि  में,   म्र्गमरीचिका,  जल,  दिखता,  पर, जल  है,  नहीं.
म्रग,  ना  समझे,  भूल – भुलैया,   एक,  छलावा,  कुछ  भी  नहीं.
इसी  तरह,  जीवन  में,  होता,    जो,  सोचे  हम,  था,  वो  नहीं.
भूल,  भयंकर,   पड़ती  है,   ये,    लगता,  जैसे,  बस  में,  नहीं.

सब  हैं,  आदि – शक्ति की  रचना,   उर्जा,  कहो  या,  अन्य – प्रकार.
कर्म – प्रधान,  विश्व  है,  सारा,    फल  पर  ना,  कोई   अधिकार.
कभी – कभी,  छोटी एक  घटना,    जीवन,  इस  तरह,  बदल  देती.
बिन  मांगे,  मोत्ती   मिलते  हैं,     मांगे,  भीख   नहीं   मिलती.
मन  के  अन्दर,  हैं,  सबके  हल,    लौ  हरदम,  जलती,  रहती.

भाग्यशाली  हम,  मिला  ये  जीवन,     इसको   ना,  बर्बाद  करें.
भूल,  कोई   भी,   अंत   नहीं,    मौका,   भूल – सुधार   करें.
स्वीकार,  चुनौती   दृढ – निश्चय,    लगातार,  कोशिश,  मन  से.
काम,  असंभव,  भी   संभव  हो,    मदद   मिले,   परमेश्वर  से.
रंग  लायेगी,  मेहनत   निश्चित,     सपने  सच  हों,  करने  से.

जादू,  ना  ही  श्राप,  किसी  का,   कठिन – परिश्रम  ही  है,  विकल्प.
ईमानदार  कोशिश,  मन  से  हो,   लक्ष्य – केंद्र    में,  दृढ – संकल्प.
बुलंद – हौसले,   और   धीरज  से,    कुछ   भी,   पा   सकते   हैं. 
मन – जीते,   तो   जीत   लिया   जग,     चमत्कार   होते    हैं.
विश्वास   करो,   अपने   ऊपर,     इतिहास   बदल   सकते   हैं.

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