Friday, June 26, 2015

मेरा गाँव, - मेरा देश.  


( यह रचना, १८ जुलाई, २०१४ को, लिखी गई. )

मेरा – गाँव,   ही,   मेरा – देश  है,    देश,   बना   गाँवों  से,  ही.
गाँव,  खुशहाल,  तो,  देश,  खुशहाल,   भारत – गौरव,  गाँवों,  से  ही.
सत्तर, -  प्रतिशत   भारत,   अब   भी,     गाँवों,   में,   बसता,   है.
गाँव  का,  किसान – मजदूर ,- मिलकर,   हम – सब,  का  पेट,  भरता  है. 

गाँव,  आज  भी,   कम  प्रदूषित,      छत,  पर,   मोर  नाचते,  हैं.
तोता,  चिड़िया,   गौररिया,  मिल,     मोहक,  संगीत,   सुनाते,  हैं.
उजली – उजली,    भोर,   सुनाये,      तुतले – तुतले,     बोल.
सूर्योदय,   का    द्रश्य,    विहंगम,      देखें   तो,    अनमोल.

शहर,  बने  शरीर,  भारत,  का,      आत्मा,  बसती,  गांवों,  में.
निश्छल – प्रेम,  और  भाई – चारा,     आज  भी,  मिलता,  गाँवों,  में.
इसीलिये,  यह  बना  जरुरी,     सब – मिल,   ग्राम – विकास,    करें.
भागीदारी,   शत – प्रतिशत,   हो,     नहीं,   हुआ  जो,    उसे,  करें.

आओ,  नव – भारत,  निर्माण,  करें,     ये,  आज,   शपथ  लेतें  हैं.
शहरों,   गांवों,  में,   भेद   रहे   ना,     ऐसा,  भारत,   गढ़ते   हैं.
गावों,   का   सम्पूर्ण – विकास,     भारत  को,   शिखर   पंहुचाएगा.
खेल – कूद,  या   सशत्रसेनाएं,     भारत   का,   तिरंगा   लहरायेगा.


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