Wednesday, June 17, 2015

काम की बात.


( यह रचना, १८ जून, २०१४ को, लिखी गई. )

छोटे – दिल, से,  बड़ी  बातें, कर,   कोई,  बड़ा  नहीं  बनता.
टूटे – दिल, से,  चलना  मुश्किल,   कोई,  खड़ा,   नहीं  होता.
आधे – मन,  से,  किया काम,    कभी,  पूरा,   नहीं   होता.

महापुरुषों  की   सीख,  सुभिच्छा,   हमको,  राह  दिखाते  हैं.
माँ  का,  आशीर्वाद,  प्यार,   हर – मंजिल  तक,  पहुंचाते  हैं.

बिन,  गहरे – पानी, में,  उतरे,   कोई,  तैराक,  नहीं,  बनता.
बिना,  हौसले,  पंखों  से   ही,   कोई,  उडान,  नहीं   भरता.
पीठ,  दिखा – कर,  भाग,  जाय,   उसको,  सम्मान,  नहीं,  मिलता.

गुरु – संगरक्षण,  कठिन – परिश्रम,    बने,  सफलता,  का,  आधार.
नेक – नीयत, और  कर्मठता, से,     हों,   हर, मुश्किल,   से,  पार.


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